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Thursday, December 1, 2016

शाम ।

वक़्त से पहले ही, बुझ जाती है शाम, उन ग़रीबों की,

रोज़ी देने वाले  अमीर, जब से  ख़ुद ही ख़ुदा बन गए...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१ डिसम्बर २०१६.


Saturday, November 26, 2016

बरबादी ।

बिलकुल सही है, मुझ से इश्क न फरमाने का फैसला तेरा,

मेरी  बरबादी  के  लिए, तो   बस   काफ़ी   है   तेरी  बददुआ...!

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १२ अगस्त २०१६.


Friday, November 25, 2016

मर्ज़ ।

हर   मर्ज़  की, एक  ही  दवा  होती  है, पीने  वालों  के  पास,

शायद, घुल जाती होगी सहज से, घुट-घुट के मरने की आस..!


मर्ज़ = रोग,समस्या;
   
सहज = आसानी से;
 
घुलना = एक रस हो जाना;

घुट-घुट के = साँस रुँधना, तड़प-तड़प कर;

आस = आशा;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २९ जुलाई २०१६.

Thursday, November 24, 2016

वजह ।

प्यार  करने की  भी, कोई  वजह  होती  है  क्या ?

प्यार  तो  अमर,  रूह  का अटूट हिस्सा  होता  है...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः १९ नवम्बर २०१६.


Monday, November 21, 2016

तजुर्बा ।

ज़िंदगी को  ही, तय  करने  दे  उसे   क्या  चाहिए,

फिर, तजुर्बा भी तो, काम आना चाहिए किसी दिन...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः १९ नवम्बर २०१६.


Sunday, November 20, 2016

अक्स ।

रूह  और  तुम, दोनों  अक्स  हो  मेरे,

बता किस से, जुदा होने पर मर जाऊँ...!


अक्स = प्रतिबिम्ब;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १९ नवम्बर २०१६.


Saturday, November 19, 2016

इलाज ।

कह कर गया था हक़ीम, इस रोग का इलाज नहीं,

पर, तेरा  हाथ  चुम लिया  और  देख  ठीक हो गया...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः १८ नवम्बर  २०१६.


Friday, November 18, 2016

छलावा ।

छलावा  है  बारबार, चोला  बदलना  उसका,

दुःख ही तो आता है, पहन के चोला सुख का...!


छलावा = प्रपंचः 

चोला = पहनावा;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १४ जून २०१६.


Thursday, November 17, 2016

सिरफिरे जज़बात ।

सिरफिरे  जज़बातों को, सिर पर  बिठा कर  क्या  मिला ?

ना  मिला  प्यार , न  यार, न  रिश्ता, ना ज़रा सा क़रार...!


सिरफिरे = सनकी;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १४ जून २०१६.


Wednesday, November 16, 2016

ख़्वाब ।

तूने  कैसी नज़र से  देखा, आकर के  मेरे ख़्वाब में?

तेरे  मुताल्लिक, सारे ख़्वाब, जल गए मेरे ख़्वाब में...!


मुताल्लिक = संबंधित;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १६ नवम्बर २०१६.


Tuesday, November 15, 2016

चांदनी रात ।

चांदनी के बदन से, रौशनी चुरा के, ओढ़ लेता हूँ,

जब तुम्हारी  याद, चांदनी  रातों में, सताती है मुझे..!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २८ जुलाई २०१६.


Monday, November 14, 2016

फ़ैसला ।

सही फ़ैसले के लिए, मन को थोड़ा वक़्त दिया कर,

जल्दबाज़ी में  हो सकता है, ग़लत  तू  या, तेरा मन..!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २३ जुलाई  २०१६.


Sunday, November 13, 2016

भरोसा ।

शायद, अपनी काबिलियत पर, अब उसे भरोसा नहीं रहा,

अहसास-जज़बात की  रगों को, काटने  पर  तूला है  दिल..!


काबिलियत = हुनर;  

अहसास =  अनुभव; 

जज़बात = मनोभाव;
  
रग = नस,बुनियाद;
  
तूलना = तत्पर होना;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०९ अगस्त  २०१६.



Friday, November 11, 2016

साथ ।

बुरे  वक़्त में, साथ दिया था  जिन-जिन का, हर  वक़्त  मैंने,

कह कर, आज धतकार दिया, सब ने, `हम तुम्हें जानते नहीं..!`


धतकारना = अपमानित करना;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः११ नवम्बर २०१६.


Thursday, November 10, 2016

यादें ।

आते-जाते  दिन-रात से  चंद  लम्हें  चुरा कर,

जिंदा यादों को  आज फिर  दफ़ना दिया  मैंने...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० सप्टेम्बर २०१६.


Wednesday, November 9, 2016

लुत्फ़ ।

कभी हम से भी तो,पंगा लिया कर ज़ालिम,

बड़ा   लुत्फ़   होता  है,  रुठे  को  मनाने  में...!


पंगा = तकरार;
 
लुत्फ़ = आनंद;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० अगस्त २०१६.


Tuesday, November 8, 2016

तहज़ीब ।

तहज़ीब की आसान राहों में,  काँटे बिखेर के  चल  दिए,

भरी  महफ़िल में  इज्ज़्त  को तार-तार कर के  चल  दिए..!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० ओक्टॉबर २०१६.



Monday, November 7, 2016

सुहागिन ।

फ़ना है  जवानी,  कुँवारी  आँख  रख कर,

बन जा सुहागिन, हम से आँख मिला कर...! 


फ़ना = बरबाद;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः १२ ओक्टॉबर २०१६.


Sunday, November 6, 2016

आसमान ।

आसमाँ भी  गिर गया, ख़ुद की  नज़रों से नीचे,

जब भी  देखा, इन्सान को  तिल-तिल के मरते ।


नज़रों से गिरना = बहुत शर्मिंदा होना;  
तिल-तिल के = घुट-घुट के-बेबसी में;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०४ अगस्त २०१६.


Saturday, November 5, 2016

नमक ।

जलनेवाले   हँसने   लगे   हैं,   इन   बेस्वाद    ज़ख़्मों  पर,

हो सके तो फिर से  तू आजा, नमक छिड़कने ज़ख़्मों  पर...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० अगस्त २०१६.





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