Sunday, March 20, 2011

श्री मोबाईल नारायण व्रत कथा ।

श्री मोबाईल नारायण व्रत कथा ।


(courtesy-Google images)


॥ श्री नारद उवाच ॥

" मर्त्यलोके जनाः सर्वे नाना क्लेश समन्विताः ।
  नाना योनि समुत्पन्नाः पच्यन्ते पाप कर्मभिः॥११॥"


" हे प्रभो, मनुष्य लोक में सभी मानव विविध योनि में उत्पन्न हो कर, नाना प्रकार के दुखों से लिप्त हो कर, अपने पाप कर्मों से पीड़ित है । उनके यह दुःख कौन से नाना उपाय द्वारा शांत हो सकते हैं? मुझे कृपया बताएं, मैं वह सब श्रवण करना चाहता हूँ । "

॥ श्री भगवान उवाच ॥

" साधु पृष्टं त्वया वत्स लोकानुग्रहकांक्षाया ।
संत्कृत्वा मुच्यते मोहात तच्छृणुष्व वदामि ते ॥१३॥"


" हे वत्स, मनुष्य के हित की इच्छा से आपने मुझे सही बात जानना चाही है; जिसको करने से मनुष्य मोहमाया से मुक्त होता है,बह मैं आप को बताता हूँ सुनें ।"

(प्रथमोध्याय -श्रीसत्यनाराणय व्रत कथा)

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हे प्रिय वत्स, (दोस्त)

आज के घोर कलयुग में, संसार के सारे दुखों से मुक्ति दिलानेवाली, श्री मोबाईल नारायण व्रत कथा ही है । यह कथा को विधि पूर्वक करने से मनुष्य तत्काल  पृथ्वी लोक पर सर्वे सुख भोग कर, तमाम दुःख से आजीवन मोक्ष प्राप्त करता है । आज मैं भी, आपको यह व्रत कथा सुनाता हूँ वह आप सर्वे इसे  ध्यान से श्रवण करें ।

श्री मोबाईल नारायण प्रित कथा;अध्याय-प्रथम ।

आज होली-धूलेटी के इस पावन महा पर्व के दिन, संसार का कोई भी मानव पूर्ण श्रद्धा एवं प्रितीभाव मन में धारण कर, भगवान श्री मोबाईल नारायण की (खरीददारी) पूजा कर सकता है । कलयुग में, इस मनुष्य लोक में, अनेक दुखों से मुक्ति पाने के लिए, यह सबसे सरल और श्रेष्ठ उपाय है ।

ईतिश्री सेटेलाईट पुराने रेवा खंडे श्री मोबाईल नारायण कथायां प्रथमोડध्यायः संपूर्ण ।

बोले, श्री मोबाईल नारायण भगवान की....ई..ई..जय..अ.अ,,!!

( सभी भक्त गण अपने-अपने लोटे (पात्र) के उपर अपना चम्मच टकराएं, अगर पास लोटा या चम्मच न हो तो, अपने मोबाईल में कोई `शीला की जवानी` का रिंग टोन बजाएं ।

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श्री मोबाईल नारायण प्रित कथा अध्याय-द्वितीय ।

निर्धन प्रेमोच्छुक कॉलेजियन प्रेमी और एक मासूम, सुंदर  कन्या को प्राप्त हुए पून्य फल की कथा ।

॥ लेखक उवाच ॥

हे वत्स, संसार में, जिसने श्री मोबाईल नारायण  का व्रत सब से पहले किया था वह कथा मैं आपको सुना रहा हूँ ।

भारत की पून्य भूमि पर एक निर्धन कोलेजियन प्रेमी युवक, धरती पर  एक मासूम कन्या के विरह में सुधबुध खो कर, भ्रमित हो कर, इधर-उधर की ख़ाक छान रहा था । उसे इस तरह अत्यंत दुःखी  पाकर, भगवान श्री कामदेवजी ने अत्यंत प्यारभरे स्वर में, उस प्रेमी से प्रश्न किया," हे प्रेमीओं की जाति में श्रेष्ठ । आप अत्यंत दुःखी क्यों है? यह मैं जानना चाहता हूँ इसलिए मुझे विस्तार से बताइए ।"

॥ प्रेमी उवाच ॥

" हे श्री कामदेव प्रभु, मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती हुई एक मासूम सुंदर कन्या के विरह से पीड़ित ऐसा में एक प्रेमी हूँ । अगर आप मेरा यह दुःख दूर करने योग्य कोई सरल उपाय जानते हैं तो कृपा करके मुझे बताएँ।

प्रेमी युवक की आर्द्रतापूर्ण वाणी से द्रवित होकर, श्री कामदेव जी ने अपने चिर परिचित मंद-मंद मुस्कान बिखेरते  हुए  अंदाज़ में, यह प्रेमी को भगवान श्री मोबाईल नारायण नामक देव की मूर्ति को अपने हाथों से अर्पण किया । यह नवयुवक को भगवान श्री कामदेवजी ने बताया की, अभी-अभी थोडी देर पहले ही, वही मासूम सुंदर कन्या को भी, भगवान श्री मोबाईल नारायण की ऐसी ही एक प्रतिकृति उन्होंने अर्पण की है । इतना कहकर भगवान श्री कामदेव जीने उस मासूम सुंदर कन्या के श्री मोबाईल नारायण से संपर्क करने के सारे विधि-विधान से, विरही प्रेमी को अवगत कराया और अनंत-असीम प्रेम का अहसास कराने विरही प्रेमी के शरीर में प्रवेश कर, अंतर्ध्यान हो गये ।

" श्री कामदेव भगवान ने, भगवान श्री मोबाईल नारायण का जो व्रत करने के लिए, मुझे विधि समझाया है, वह मैं श्रद्धा पूर्वक ज़रूर करुंगा ।" यह सोचते हुए, विरही कॉलेजियन प्रेमी को सारी रात नींद भी  न  आ पाई ।

दूसरे दिन, प्रातःकाल में, जाग कर नवयुवक ने," आज मैं श्री मोबाईल नारायण का व्रत ज़रूर रखूंगा ।" मन में ऐसा संकल्प धर कर भगवान श्री कामदेवजी का सच्चे हृदय से स्मरण करके, विधि विधान अनुसार अपने श्री मोबाईल नारायण से, वह मासूम सुंदर कॉलेज कन्या के श्री मोबाईल नारायण से संपर्क किया ।

भगवान श्रीकामदेवजी के दर्शाए विधि विधान को सफलतापूर्वक ढंग से करने के कारण, व्रत के विधि अनुसार, व्रत पूर्णता के बाद, दो घंटे पश्चात, कॉलेज के पास की एक महंगी रेस्त्रां में दोनों प्रेमी पंखी  आमने सामने, व्रत कथा का `महा-प्रसाद` ग्रहण करने  हेतु, मॅक्सिकन-थाई फूड का ऑर्डर देकर साथ-साथ बैठे हुए थे ।

( " बोले, श्री मो..बा..ई..!!," अरे भाई साहब, ठहरिए, ज़रा ठहरिए.....अभी देर है ।  ज्यादा जोश  दिखाएँगे तो श्री मोबाईल नारायण रूठ जायेंगे ..!!)

श्री मोबाईल नारायण की इस पवित्र व्रत कथा अनुसार, वह निर्धन (कड़का-लुख्खा ) प्रेमी के पास, अपने से भी ज्यादा महँगा और स्टाईलिश श्री मोबाईल नारायण को देखकर, उस मासूम सुंदर कॉलेज कन्या ने, विरह में तड़पते हुए उस सच्चे प्रेमी युवक को, हर रोज़ के तिरस्कार भाव से विपरित, बहुत ज्यादा प्रेम-भाव व्यक्त किया ।  कालक्रम के बदलते ही, वह प्रेमी नवयुवक ने विरह के दुःख से मुक्त हो कर अपने मनवांच्छित प्यार को पा लिया ।

भगवान श्री कामदेव जी द्वारा बताए गए यह व्रत को  इस के पश्चात उन दोनों प्रेमीओं ने, प्रति माह श्री मोबाईल नारायण की नई प्रतिकृति खरीद कर, श्री मोबाईल नारायण का व्रत विधि पूर्वक बार-बार, प्रति माह कर के, वह मासूम कन्या और नवयुवक ने, प्रति मास अलग-अलग नया प्रेमी और प्रेमिका को पा कर अंत में इन्होंने संसार के सर्वे सुख को(?) ( ग़लत मत सोचें..!!) प्राप्त किया ।

भगवान श्री मोबाईल नारायण के इस पावन व्रत को, प्रति मास विधि पूर्वक करने फलस्वरूप, अपने निर्धन मित्र को अचानक नयी बार-बार नवीन प्रेमिका और नये प्रेमी के साथ कॉलेज में प्रसन्न होते देखकर, समग्र (HE-SHE) मित्र गणने भी यह पावन व्रत करने का मन में निर्धार किया और सभी यह पृथ्वी लोक में नाना प्रकार के प्रेम नामक मनवांच्छित सुख के अधिकारी बने ।

ईतिश्री सेटेलाईटपुराणे रेवाखंडे श्रीमोबाईलपारायण कथायां द्वितियोध्यायः संपूर्ण।

(ए..भाईसाहब..!! ए..सुनिए..ना; अब आप ज़ोर से बोल सकते हैं..!!)

बोले, श्री मोबाईल नारायण भगवान की....ई..ई..जय..अ.अ,,!!

( सभी भक्त गण अपने-अपने लोटे (पात्र) के उपर अपना चम्मच टकराएं, अगर पास लोटा या चम्मच न हो तो, अपने मोबाईल में कोई `मुन्नी बदनाम हुई` का रिंग टोन बजाएं ।)

 हे परम सुखी प्रेमी जन, यह पावन कथा में किए गये वर्णन  अनुसार, प्रति मास, पुराने श्री मोबाईल नारायण की, मोह माया से मुक्त होने हेतु, कथा पूर्ण होने के पश्चात व्रत कथा का महा-प्रसाद ग्रहण करना अति आवश्यक  है । ऐसा न करने से, भगवान श्री मोबाईल नारायण दुःखी होकर रूठ जाते हैं तथा बार-बार नेटवर्क की समस्या खड़ी करने लगते हैं ।

आज की इस पावन कथा में, उन सभी मासूम सुंदर कन्याओं के, पहलवान, कुस्तीबाज, पिता-मामा-चाचा- भाई यहाँ अभी-अभी उपस्थित हुए हैं । यह कथा समापन का महा-प्रसाद (ही..ही..ही..!!) वितरण विधि उन्हीं के कर कमल से संपन्न होना है, कृपया आप कहीं मत जाईएगा, कुछ समजे..ए..ए..ए.ए..!!

मासूम सुंदर कन्याओं के, पहलवान, कुस्तीबाज, पिता-मामा-चाचा- भाई के करकमलों से प्राप्त महा-प्रसाद आपको ज्यादा गर्म लगता हो तो, ग़म गलत करने के लिए, सॉरी मुँह की जलन-गर्मी गलत करने के लिए, रास्ते में कहीं अपना बाईक खड़ा रखकर, आप फटाफट ठंडाई या भांग पी सकते हैं ।

बोले, श्री मोबाईल नारायण भगवान की....ई..ई..जय..अ.अ,,!!

( सभी भक्त गण अपने-अपने लोटे (पात्र) के उपर अपना चम्मच टकराएं, अगर पास लोटा या चम्मच न हो तो, अपने मोबाईल में कोई `हूड दबंग-दबंग-हुड-हुड-हूड, दबंग-दबंग-दबंग` का रिंग टोन बजाएं ।

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प्यारे युवा प्रेमी दोस्तों, वैसे तो, यह व्रत कथा, सब को अपनी-अपनी क्षमता अनुसार, महा प्रसाद प्राप्ति के बाद पूर्ण होनी है । सिर्फ भगवान श्री कामदेवजी की `आरती` करना ही बाकी है, सभी भक्त अपने-अपने जूते-बूट-चप्पल, दोनों हाथों में ग्रहण करें और रोनी सी  सूरत बना कर, ऊँचे सुर में, ज़ोर से  चिल्लाती हुई आवाज़ में, `जय कामदेव-जय कामदेव`` आरती में कृपया हमें साथ दें ।

श्री मोबाईल नारायण व्रत कथा आरती..!!

" समरुं रिलायंस, टाटा, प्रेमे  डो..को..मा (२)

  मनवांच्छित,वर देते,सब को मोबाईल देवा.

जय..कामदेव..!!

१. सुंदर-स्लीम स्वरूप, मन मोहक देवा..(२)

 सत्य-असत्य कथनसे, होती तम सेवा.

जय..कामदेव..!!

२. उल्का मुख गीरता, प्रेमी जन देवा (२)

नित नये कर सोहे, भजते हैं काम देवा.

जय..कामदेव..!!

(अस्तु, अस्तु, अस्तु, भगवान श्री मोबाईल नारायण की स्तुतिमें श्रीकामदेवजी की ये आरती के आगे के बाकी सारे अंतरे आप विद्वान पाठक मित्र खुद ही लिख लेना । मेरा कंठ-आकंठ दर्द से भर जाने की वजह से, क्षमा करना,  अब आगे मैं  गा नही पाउंगा ।)

मार्कण्ड दवे । दिनांक; २० -२ -२०११.

4 comments:

  1. bahut bhagvan hain ham jo yah katha padne ko mili .anant kaal tak iski mahima gayee jayegi .
    आप को रंगों के पर्व होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ..
    रंगों का ये उत्सव आप के जीवन में अपार खुशियों के रंग भर दे..

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  2. Lol.

    Too Hillaroius.

    Markandbhai:

    It was nice going on,.. and all of a sudden,... Katha was completed very soon and abruptly.

    Let it continue,.. and,....... in this story of Kalwati and Lilawati,

    some chapters ( Adyaahay) are still unfinished and yet to come,.. that ,.. Kalawati forgot the Vrat later ,.. and finally Lilawati reminded her,........ the Boat full of ( Kanchan ) Gold converted to full of ( Kankar ) trash,.. and other such incidents and stories of Vaaniyo and Brahmin,..incidents !

    And,.. yet to come,......... the ring tones of "Beedi Jalaayi le" ,... "Kajara Re,.. " and ,... "iishaq kameena ,...."

    Those who are awaiting of "Prasaad" so early,.... I would like to say to those,...,... " Picture , abhi baaki hai mere dost ! "

    Keep continue,... Dave Bhai.



    LOL !

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  3. आप के ब्लॉग को मैंने ''यह ब्लॉग अच्छा लगा 'सामूहिक ब्लॉग par liya hai .आप is ब्लॉग par aakar utsaah vardan karen .http://yeblogachchhalaga.blogspot.com

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  4. बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने | बाबा रन्चोर दास की महिमा का भी गुणगान कर ही देनी चाहिए थी |
    उतमम दधात पादम... कनिस्थ पादम ठुचुक ठुचुक .....

    यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.com

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