Saturday, April 2, 2011

कुंजी बोर्ड की निरर्थक व्यंग-आत्मकथा ।


कुंजी बोर्ड की निरर्थक व्यंग-आत्मकथा ।


 (courtesy-Google images)



 " मन मोनिटर  की  साइज़,  क्यों काट रहा है बंदे?
 सकल समस्या अपने हिस्से, क्यों  बाँछ रहा है बंदे?"

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प्यारे दोस्तों,

मैं कम्प्यूटर का,`Key Board-की-बोर्ड` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

आप सब लोग, आप के परिवार के साथ जितना समय व्यतित नहीं करते ,उससे  कहीं ज्यादा समय आप मेरे संग बिताते हैं, इस बात के लिए मैं  आपका धन्यवाद करता हूँ ।

लेकिन..!!

आप ज़रा सा समय निकालकर सोचे,क्या आप ये सही कर रहे हैं?  मैं  तो तन और  मन दोनों स्वरूप में जड़ पदार्थ  हूँ , फिर भी आप मुझे हर वक़्त  अपनी गोद में लेकर, मेरे साथ दिन-रात खेलते रहते हैं।

मगर सच कहूँ, आप जब, आपके साथ खेलने के लिए आए हुए , आपके  नन्हे मुन्ने बेटे-बेटी पर गुस्सा करके उन्हें  भगा देते हैं, और फिर मेरी कुंजीओं को, आप अपनी उंगली से, बड़े प्यार के साथ फिर से सहलाने लगते हैं तब मुझे अनहद दुःख होता है ।

मैं कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

कभी-कभी तो मेरी समझ में कुछ नहीं आता की, इन्सानी फितरत पर गुस्सा होना चाहिए, हँसना या रोना चाहिए? कुण्ठित एवं बौने सोच वाली आदम जात, अपने मन में समाये, लोभ, लालच, काम, क्रोध, मोह, माया और अभिमान जैसे, जाने माने दुर्गुणों के `Virus - वायरस` को प्रमुख जड़ से नेस्त नाबूद करने  के बजाय, मेरी `Hard Disk - हार्डडिस्क`, में  घुसते अनजान, `Virus - वायरस` को बार-बार, `SCANNING - स्कैनिंग ` करके  मिटाने की, सतर्कता बरतता  है ।

आगे क्या बताएं..!! ज़रुरत पड़ने पर, मेरे मन की,`Hard Disk - हार्डडिस्क`,में फैले  हुए, नुकसानदेह, `Virus - वायरस` को, `Format - फ़ॉर्मेट` करके मेरे मन को सदैव साफ सुथरा,शुद्ध रखता है ।

आदम जात को, मन में व्याप्त दुर्गुणों की वजह से पीड़ा सताती है तब, वह अपने मन में समाये, लोभ, लालच, काम, क्रोध, मोह, माया और अभिमान जैसे, जाने माने दुर्गुणों के `Virus - वायरस` फैलाने की ज़िम्मेदारी दूसरों पर  थोप देता है ।

मैं कम्प्यूटर का  `Key Board-की बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

कभी-कभी मैं भी तो आदम जात के साथ रात-दिन रहकर उब जाता हूँ  ।  इस बात का मैं गवाह हूँ की, मेरे साथ बैठे-बैठे ही, अनचाहे लोगों के साथ, फोन पर इन्सान दिन रात कितने सारे झूठ बोलता रहता है..!! मुझे  लगता है अनचाहे लोगों से,`Escape - ऍस्केप`, करके पीछा छुड़ाने की, ये कला कहीं, उसने मेरी, `Escape - ऍस्केप`, कुंजी से तो नहीं सीखी होगी?  वैसे कुछ उसूल के पक्के इन्सान भी मैंने देखें हैं, जो `Escape - ऍस्केप`, कुंजी का उपयोग यदाकदा ही करते हैं ।

पर, आप सभी दोस्तों से मैं एक बात अवश्य कहूँगा, धन्य हैं ये आदम जात..!!

शायद उसे कब-कहाँ-कैसे,`Escape - ऍस्केप`, करना भले ही न आता हो, मगर जहाँ उसे अपना ज़रा सा भी लाभ दिखाई देता है, वहाँ  अपना आत्माभिमान गिरवी रखकर भी, छद्मवेष धर कर,चोरी छिपे, सँभाल कर, सही जगह पर,`Enter - ऍन्टर` कैसे करना है, ये कला अच्छी तरह जानता है ।

मैं कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

बात आदमजात के अनैतिक संबंध की हो या फिर, उसे होने वाले नुकशान के अग्रिम संकेत की..!! ऐसी परिस्थिति में किसी दूसरे को होनेवाले नुकसान की परवाह किए बिना ही, यही दोगला इन्सान, ऐसे अनैतिक- उकताऊ संबंध से ,`Back Space - बेकस्पेस`दबाकर (दूम दबाकर), उसे `Delete -  डीलीट`, करने में ज़रा भी देर नहीं करता ।

मैं नें तो यहाँ तक मार्क किया है की, कुछ बेवकूफ इन्सान को छोड़कर, बाकी  के  सारे  चतुर इन्सान, भविष्य के लिए नुक़सानदायक संबंध में, आज से और अभी से, कितना अंतर बरतना है,यह तय करके,`Space bar - स्पॅसबार` का  बख़ूबी उपयोग कर लेते हैं ।

संक्षिप्त में कहें तो, अपने दुर्गुणों के,`Virus - वायरस` को ही अपना हथियार बनाकर, अनेकविध संबंधों के बीच दायें-बाँये; उपर-नीचे,`Shift - शिफ्ट`, करके, किसी कुशल नटेश्वर की भाँति, संतुलन बनाए रखना भी आ गया है। 

मैं कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

अब ये भी बता देता हूँ की, जैसे आजकल हमारे, `की-बॉर्ड-Key Board` की जात में वायरलेस,`की-बॉर्ड-Key Board`भी फ़ैशन में हैं, वैसे ही अपने आप को, दूसरे लोगों से सर्वाधुनिक मानने वाले अभिमानी,समाज में मान सम्मान पाने के भूखे,  मगर स्वभावगत मूर्ख के बड़प्पन को, कुछ स्वार्थी, चतुर लोग,`Caps Lock - कॅप्सलोक; Shift - शिफ्ट`, की  तरकीब आज़मा कर,`Capital letters - कैपिटल लेटर्स`, जैसा बड़ा बनाकर, उस मूर्ख के अहम को सहलाते हैं  और थोड़े समय के लिए ही सही, उनको, समाज में बड़ा स्थान देकर, अपने निजी स्वार्थ को बड़ी चतुराई के साथ, साध लेतें हैं ।

हालाँकि, अपना मलिन इरादा पुरा हो जाने के बाद, ऐसे स्वार्थी लोग,`Tab - टॅब`, का सहारा लेकर, ऐसे झूठे संबंध से आज़ादी पाने के लिए, संबंध के,  `Courser - कर्सर` को,  उन सम्मान के भूखे-मूर्ख लोगों से इतना दूर  भाग जाते हैं की फिर वह, `Recycle - रिसायकिल बीन` में ढ़ूंढने पर भी  नहीं  मिलते  हैं ।  

मैं कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

पता नहीं ये आदम जात ऐसा क्यों करती होगी..!! मेरी कुंजी के ज़रिए, ये लोग न जाने विश्व भर में कैसी - कैसी,`Window - विडोज़`, में  दृष्टि-भ्रमण कर आते हैं, लेकिन ताज्जुब की बात हैं..!! आदमी,  खुद की नज़रों से सिर्फ एक फूट की दूरी पर स्थित, हृदय की विन्डो में, एक क्षण के लिए,  झाँकना ज़रुरी नहीं समझता?

सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा देनेवाले आत्मा की आवाज़, ऐसे इन्सानों के हृदय की ,`Window - विन्डो`, के भीतर प्रवेश करें, ये बात उन्हें मंज़ूर नहीं होती ।

शायद इसीलिए, अपनी सच्ची-अच्छी भावनाओं को ये लोग,` Num Lock - नम लॉक`, के उपयोग द्वारा जड़ और चेतना शून्य कर देते हैं, इतना ही नहीं, अपने अलावा दूसरे किसी आदमी को ग़लती से भी समाज में महत्व प्राप्त न हो, इस बात का ध्यान रखते हुए,`Upper Case - अपर केस`, को ये इर्षालु लोग कभी हाथ भी नहीं लगाते ।

कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ ।

कुछ  चालाक लोग, खुद कुछ नहीं करते मगर  उनके  ज़रूरतमंद आश्रित व्यक्तिओं  का  बड़ी  होशियारी से, `Alt - ऑल्ट; Ctrl - कंट्रोल` अपने पास रखकर ` F1 - एफ 1 से F12 एफ १२`, जैसे  विविध तरीके आज़मा कर, एक ही तीर से कई सफल निशाने लगाते हैं ।

ऐसे इन्सान अपनी ज़ुबान पर सारी दुनिया के,`Word processing programs - शब्द संसाधन प्रोग्रामों` की मधुमिश्रित शब्द मायाजाल में इतनी ढ़ेर सारी मिठास,`Insert -इन्सर्ट` कर देते हैं की उसके प्रभाव में आने वाले व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी ही लग जाए..!!

मैं कम्प्यूटर का `Key Board-की-बोर्ड ` हूँ ।
आज मैं आपको मेरी `निरर्थक व्यंग्य-आत्मकथा` सुनाना चाहता हूँ । 

आप को पता है? आजकल ईश्वर के दरबार में, सभी मानव के अच्छे-बुरे कामों की,`History - हिस्ट्री`, दर्ज करने के लिए, चित्रगुप्त भी,`Key Board - की बोर्ड`,का उपयोग करने लगे हैं..!!

याद रखना, जब  भगवान के आदेश पर, चित्रगुप्त आपके बुरे कामों की,`History - हिस्ट्री`,की लं..बी `Print - प्रिंट`, निकालकर उसे, `Scroll Lock - स्क्रोल लॉक`, (गुप्त अहवाल?) के रुप में,आपके हाथ में थमा देंगे तब, अपने ही कुकर्मों का कच्चा चिठ्ठा पढ़कर, आप सर से पाँव तक, `Hang - हेंग `, मत हो जाना..!!

आज के दिन बस इतना ही, मुझे लगता है, मैं  एक नाचीज़ सा,`Key Board - की बोर्ड`हूँ,फिर भी आत्मकथन के नाम पर मैंने, मेरी हैसियत से ज्यादा निरर्थक प्रलाप किया है ।

अंत में, सिर्फ  एक  बात  कहना  चाहता  हूँ, मैं तो सदैव आपका साथी रहूँगा ही, मगर मेरा ग़लत उपयोग करके, मन के,`Monitor -मोनिटर`, पर दुर्गुणों की,`Porn site  - पोर्न साइट` जैसी गंदकी मत फैलने देना ।

अब आपसे उम्मीद करता हूँ की, मेरे चारों , `Arrows - ऍरो`,  की सहायता से आपके सात्विक विचारों को, सही दिशा प्रदान करके, इन्सानियत को याद रखकर, जैसे `सुबह का भूला,शाम को घर लौट आता है ।`

वैसे ही,आप सही सलामत अपने,`Home -हॉम` कैसे लौट आएं, ये बात अच्छी तरह से सीख लें।                                                                            

वैसे कम्प्यूटर के, १४,१७,१९, और उसके उपर की साइज़ के मोनिटर, साइज़ कम होते-होते सिकुडकर मोबाईल फोन की साइज़ के हो गये हैं, मगर ज़रा अपने मन के मोनिटर की साइज़ दिनोंदिन चौड़ी करते रहना, उसे सिकुडने मत देना, क्योंकि, इन्सान की सही पहचान ही अपने मन के बड़पन से होती है । 
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`ANY COMMENT`                  

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०२-अप्रैल-२०११.
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6 comments:

  1. गजेन्द्र सिंह ने कहा…

    वैसे कम्प्यूटर के, १४,१७,१९, और उसके उपर की साइज़ के मोनिटर, साइज़ कम होते-होते सिकुडकर मोबाईल फोन की साइज़ के हो गये हैं, मगर ज़रा अपने मन के मोनिटर की साइज़ दिनोंदिन चौड़ी करते रहना, उसे सिकुडने मत देना, क्योंकि, इन्सान की सही पहचान ही अपने मन के बड़पन से होती है ।

    सही और सच्ची बात कही है ....
    २ अप्रैल २०११ १०:२३ पूर्वाह्न

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  2. विजय कर्ण ने कहा…

    बहुत बढ़िया कथा लिखी है आपने की-बोर्ड के बारे मे ...
    २ अप्रैल २०११ १२:१४ अपराह्न

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  3. विजय कर्ण ने कहा…

    कैसी,`Window - विडोज़`, में दृष्टि-भ्रमण कर आते हैं, लेकिन ताज्जुब की बात हैं..!! आदमी, खुद की नज़रों से सिर्फ एक फूट की दूरी पर स्थित, हृदय की विन्डो में, एक क्षण के लिए, झाँकना ज़रुरी नहीं समझता?

    बहुत बढ़िया बात
    २ अप्रैल २०११ १२:१५ अपराह्न

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  4. राहुल सिंह ने कहा…

    की-बोर्ड के मन को क्‍या खूब पढ़ा है आपने.
    २ अप्रैल २०११ १:५० अपराह्न

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  5. Akhilesh ने कहा…

    की-बोर्ड की सारी की सारी की के बारे मे बता दिया है । । ।

    बढ़िया लेखन
    २ अप्रैल २०११ ७:२८ अपराह्न

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  6. ajit gupta said...

    सच है आपका मन बड़ा है तो बड़े हैं। कम्‍प्‍यूटर के माध्‍यम से अच्‍छा व्‍यंग्‍य है। बधाई।

    2/4/11 11:58 AM

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