" हमको अगर कोई छेड़ेगा तो हम छोड़ेगें नहीं ।"
योगगुरु बाबा रामदेवजी उवाच..!!
======================
प्रिय मित्र,
यह लेख काल्पनिक है ।
साम्यता योगानुयोग है ।
======================
मगध के राजा धननंद के दरबार में, ऋषिवर चणक के युवा पुत्र विष्णुगुप्तने अपने राजा को, उनके शासन में प्रवर्तमान भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारीओंके बारे में जानकारी दी, तब विष्णुगुप्त की यह बात राजा धननंद के मन को रास न आयी. राजा को यह बात में अपना अपमान भाव महसूस हुआ और उन्होंने अपने सेनापति को आदेश देकर विष्णुगुप्त को अपने राज्य की सर हद के पार फेंकवा दिया ।
राजा के इस कृत्यसे आहत विष्णुगुप्त तक्षशिला जाकर विद्यार्थीओं को अर्थ शास्त्र पढ़ाने लगे और चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध हुए । इधर विलासी राजा धननंदके भ्रष्ट शासन से जनता त्रस्त हो गई, तब चाण्क्यने चंद्रगुप्त की सहायता से मगध में राजा धननंद से सत्ता छीन ली और प्रजा को सुशासन व्यवस्था कैसी होती है, यह बात का परिचय करवाया ।
शायद आज के भारत वर्ष में यही परिस्थिति का फिर से निर्माण हुआ है । रोज़ नये नये भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानेवालोंकी आवाज़ दबाने के लिए दिल्ली के आका के इशारे पर , संत, साधु और पत्रकारों से लेकर स्वच्छ अधिकारीओंको जिंदा जलाने तक के जघन्य कृत्य को अंजाम दी ये जा रहे है ।
जनता- "महँगाई कब कम होगी?"
नेताजी -" मैं ज्योतिषि नहीं..!!"
जनता-" महँगाई क्यों इतनी बढ़ गई?"
नेताजी-" लोगों की आमदनी और ख़र्च क्षमता बढ़ने की वजह से..!!"
अब आप ऐसे हास्यास्पद बातों का क्या करें । सारे नेतागण करीब करीब करोड़पति हैं, ऐसे में सावन के अंधे को सारी कायनात हरी देखना स्वाभाविक बात है ।
यह सब देखकर मेरे मन में एक सवाल उठा ।
* अगर नेताजी को बाबा रामदेवजी की भ्रष्टाचार निर्मूलन की बातें कड़वी लगती हैं, तो फिर योग शिबिरमें उपस्थित क्यों रहते हैं ?
मेरे मित्र ने इस सवाल का उत्तर दिया की," ये अभी भ्रष्टाचार में पकड़े गये सभी नेतागण को तनाव की वजह से सेक्स समस्या सताती है और वह सब योगासन के द्वारा सेक्स क्षमता वापस पाना चाहते हैं ।
यह उत्तर पाकर, मेरे मन में यह विचार आया, अगर ये भ्रष्ट नेता बाबा जी के पास अपनी सेक्स समस्या लेकर जाते तब यह सब पे गुस्साए बाबा जी उनको कौन सा उपाय बताते?
उपाय काल्पनिक है, फिर भी आप सुनिए ।
बाबा जी - " बताइए नेताजी, आप तो वही एस-बेन्ड वाले इसरो के, दो लाख करोड़ कौभांड वाले हैं ना? आप को क्या समस्या है?"
नेताजी -१," बाबा जी, मेरी सेक्स लाइफ़ समाप्त हो चली है, मानो सभी अंग पर तालें लग गये हैं, मैं क्या करुं?"
बाबा जी -" समझ लीजिए आपको अपनी ही तपास समिति के अध्यक्ष बना दिये गये हैं, अब आप अपने दोनों पैर फैला के, अपना सर नीचे कर के अपना ताला खुद खोलने का योगाभास कीजिए,सब ठीक हो जायेगा । चलो नेक्स्ट?"
नेताजी - २," बाबा जी मैं कोलाबा की आदर्श सोसाइटी कौभांडवाला, मुझे पहचाना?"
बाबा जी - " परिचय बाद में । समय कम है, समस्या क्या है?"
नेताजी -२," बाबा जी, दूसरों के मुकाबले मैं जल्दी क्लाईमेक्स पर पहुंच गया । देश-विदेश के दूसरे भ्रष्ट लोगों का वीडियो देखकर मैं लधुता का अनुभव कर रहा हूँ ।"
बाबा जी -" आप एक काम कीजिए । पर्यावरण वाले `तयराम नरेश` को आपत्ति न हों, ऐसी एकान्त जगह, स्थान ग्रहण करके श्वासोश्वास स्तम्भन की क्रिया करें ।आपका परफोर्मन्स सुधर जायेगा ।
नेक्स्ट?"
नेताजी -३,"बाबाजी, मैं माईन्स और मीट्टीचोरी कौभांडवाला । मेरे इतने सारे प्रयत्न के बावजूद मेरे सारे साथीदारों को संतोष नही हो रहा? क्या करुं?"
बाबा जी -" बचपन में आप मिट्टी में लेटकर खेलते (प्लॅ..!!) थे?"
नेताजी ३ -" हाँ, मैं तीन बार खेला था ।"
बाबा जी," जाइए, अपने सारे साथीदारों के साथ माईन्स और मिट्टी में लंबे समय तक चौथी बार ( 4 PLAY) खेलिए । आप के साथीदारों को परमानंद प्राप्त होगा ।"
अचानक बाबा जी किसी को देखकर, उठ खड़े हुए ।
बाबा जी," आइए,आइए, कॉमनवेल्थवाले दला तरवाडीजी, क्या समस्या है?"
नेताजी ४-" बाबा जी, मेरे पकाये हुए भोजन का स्वाद सभी ने चखा है, अब वही लोग मुझे ब्लॅकमेल की चिट्ठियाँ भेज रहे हैं । मैं हताशा के मारे ठंडा हो गया हूँ ।"
बाबा जी," अरे..!! तरवाडीजी, आप तो बगैर गेम खेले सब को पछाडनेवाले काबिल खिलाड़ी हो फिर भी ठंडे हो गए? आप एक काम करें, सब के सामने, आप अपने एक हाथ की जगह दोनों हाथ का उपयोग करें ।"
नेताजी ४ -(चौंककर)" मतलब?"
बाबा जी," आप ठंडे पड गये हैं ना? सब के सामने आप दो हाथ की हथेली को परस्पर ज़ोर से घींसे? सारा बदन गर्म हो जायेगा । देखो, ऐसे..ऐसे..!! ठीक है?"
नेताजी ५ -" ओँ..ओँ..ओँ..ओँ..!! बा..बा..जी, मैं टू जी स्पेक्टम घोटालेवाला खाजाबाबु..!! मेरी बीबी तलाक चाहती है । कहती है, तुमने अपनी जेब-तिजोरी तो गर्म कर ली,अब ये ठंडे बिस्तर का मैं क्या करुं? ओँ..ओँ..ओँ..ओँ..!! "
बाबा जी,"चुप हो जा । सारे देश को खून के आँसू रूलाकर अब खुद रोता है? मेरे यह शिष्य को साथ ले जा, तेरा बिस्तर गर्म कर देगा ।"
नेताजी ५ (अचानक चुप होकर)" बाबा जी, यह आप क्या बक रहे हो..!!"
बाबा जी," तेरा दिमाग सड़ गया है? ज्यास्ती नहीं समझने का..!! मेरा शिष्य तेरे ठंडे बिस्तर के नीचे आग जला कर गर्म कर देगा । चल अब भाग यहां से..!!"
शिष्य -" बाबा जी, आप जल्दी समाधी लगा लें । मध्यप्रदेशवालें `बकबकविज्यसिंह` आ रहे हैं । फोगटमें आपका सर खपायेगें ।"
बाबाजी," अरे..!! उसे रोकना मत, आने दे और सारे रूममें गुलाबजल छीडक दे । उसे सेक्स की समस्या नहीं है । उसके उदरमें, नेता होनेका अभिमान का गेस भर गया है, आने दे, वायुमूक्तासन कराके उसका सारा गेस अभी नीकाल देता हूँ ।"
MARKAND DAVE. DT: 25/02/2011.
Tel : 079 - 258 90 719 - NO REPLY : ???????
ReplyDeleteYour tel - 079 - 258 90 719 NO REPLY since three days !! am reaching ahmedabad on 4th till 6th feb, 2011. my cell - 9427222777 I will not have internet access.
ReplyDeleteकौन कहता है की आपको हिंदी नहीं आती आप तो हमसे भी अच्छी हिंदी लिखते हो दोस्त |
ReplyDeleteबाबा जी और नेता जी की सुन्दर बहस अच्छी लगी |
कहानी सुना कर लेख को शुरू करने का अंदाज़ भी सुन्दर है |
बहुत बहुत बधाई |
HA HA HA HA DAVE SAHAB BAHUT KHOOB...
ReplyDeleteSABKI DHOTI KHEECH DEE AAPNE TO..
padampati sharma says:
ReplyDelete११ अप्रैल २०११ १:०६ अपराह्न
बहुत बढ़िया !
गजेन्द्र सिंह says:
ReplyDelete११ अप्रैल २०११ १:०६ अपराह्न
क्या बात है ,
बड़ा ही सटीक व्यंग लिखा है आपने
ओशो रजनीश says:
ReplyDelete११ अप्रैल २०११ ६:४९ अपराह्न
अच्छा व्यंग लिखते है ,
ताजा हालातो को बड़े ही अच्छे शब्दो मे बयान किया है आपने ...
बहुत ही शानदार... सबको ठीक ठीक उपाय मिल गए.... हा हा हा...
ReplyDeleteवाह क्या रचनात्मक दिमाग है आपका..बड़े ही रचनात्मक ढंग से विडम्बना बता डी और कई आक्रोशों को एक नयी दिशा में मोड़ दिया..
ReplyDelete