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संगीत प्रेमी प्रिय दोस्तों,
मख़मली आवाज़ के मालिक, ऐसी ही अद्भुत प्रतिभा तथा उमदा स्वभाव के धनी, बिते युग के महानायक, सुरिले
गायक का नाम है श्री तलत महमूद साहब ।
आइए, आज हम उन्हें जाने - पहचाने और उनके सुरिले सफर की कुछ बातें करें।
नाम- श्री तलत महमूद साहब ।
जन्म- दिनांकः-२४ -०२ - १९२४.
जन्मस्थल- लखनऊ ।
दुखद निधन- ०९ -०५ - १९९८. (आयु -७४ वर्ष )
कार्यकाल- गायक,अभिनेता - १९३९-१९८६.
संगीत शिक्षा- मोरिस म्यूज़िकल कॉलेज ( पंडित श्रीएस.सी.आर.भाट)
प्रशंसनीय सिद्धिः-
* भारत सरकार द्वारा सम्मान - पद्म भूषण ।
१. पहला ब्रेक (१९३९) सोलह साल की आयु में, लखनऊ आल इंडिया रेडियो से गज़ल गायक के तौर पर करियर की शुरुआत ।
२. एच.एम.वी. द्वारा १९४१ में प्रथम गीत रिकार्ड हुआ, गीत के बोल थे"सब दिन एक समान नहीं था, बन जाऊँगा क्या से क्या मैं उसका तो कुछ ध्यान नहीं था ।"
३. सन-१९४४ से १९४९ तक, सुर सम्राट श्री के, एल. सहगल, एम.ए, रउफ,उस्ताद बरकत अली ख़ान जैसे सुप्रसिद्ध गज़ल मास्टर की उपस्थिति होने के बावजूद, कोलकाता की म्यूज़िक इंडस्ट्री में एकाधिकार शासन करने के बाद, १९४९ के दौरान श्री तलत साहब मुंबई की राह को चल पड़े ।
४. मुंबई में आकर, सुप्रसिद्ध संगीतकार श्री अनिल बिश्वासजी की फिल्म "आरज़ु"(ओल्ड) के गीत, "अय दिल मुझे ऐसी जगह ले चल, जहाँ कोई न हो ।" ने भारतभर में ऐसी धूम मचा दी की मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में श्री तलत साहब ख़्यातनाम हो गए ।
५. उस ज़माने की परंपरा के अनुसार, श्री तलत साहब की सुंदर पर्सनालिटी के कारण, उन्होंने करीब बारह से ज्यादा फिल्मों में, उस ज़माने की मशहूर अभिनेत्रियाँ, काननबाला, भारती देवी, नूतन, सुरैया, माला सिन्हा, के साथ हीरो की भूमिका भी सफलतापूर्वक निभाई ।
६. श्री तलत साहब, पहले ऐसे गायक थे, जो सन- १९५६ में कमर्शियल कॉन्सर्ट के लिए पर-देश गए । यु.एस. की कॉन्सर्ट में श्री तलत साहब की ख़्याति से प्रभावित होकर, न्यूयॉर्क टेलीविजन के लोकप्रिय टी.वी.शॉ "ध जॉ फ्रेन्कलिन शॉ ।" के हॉस्ट जॉ फ्रेंकलिन ने, यु.एस. के २.५ करोड़ टीवी व्यूअर्स को श्री तलत साहब का परिचय," भारत के फ्रेन्क सिनात्रा", के रुप में करवाया था ।
७. श्री लताजी उपरांत सिर्फ श्रीतलतसाहब ही ऐसे सिंगर थे, जिन्हों ने, सन-१९७९ में, लंदन-यु.के. के सुप्रसिद्ध"रॉयल अल्बर्ट हॉल" में सफल कार्यक्रम किया ।
८. रेडियो सिलोन पर उन दिनों, श्री अमीन सयानीजी का, `बिनाका गीत माला' कार्यक्रम अत्यंत लोकप्रिय था । सन - १९५४ में, इसी कार्यक्रम में, श्री तलत साहब के गीत, "जा ये तो जा ये कहाँ" प्रथम पायदान पाकर टोच पर रहा था।
९. श्रीतलतसाहबने उर्दू, हिन्दी,आसामी,बंगाली,भोजपुरी,तेलुगू,गुजराती,मराठी, मलयालम,पंजाबी, सिंधी, अवधि जैसी कुल सत्रह (१७) भाषाओं में गीत पेश किए हैं । इस अर्थ में भारत की एकता के वह सच्चे प्रतीक थे ।
१०. कारकिर्दी साफल्य के, करीब चालीस (४०) सालों में श्री तलत साहब ने ८०० से ज्यादा गानों को उचित न्याय दिया है।
११. श्रीतलतसाहब के कुछ रॅर (RARE) गीत, जिनमें से एक है, फिल्म `भाभी` का`चल उड़ जा रे पंछी`, जो श्री रफी साहब और श्री तलत साहब, दोनों की आवाज़ में रिकार्ड हुआ है। जिनको मैंने फिर से रिएरेन्ज-रीमिक्स किया है ।
यह रीमिक्स गीत यहाँ पेश-ए-ख़िदमत है ।
मार्कंड साहब, आपने फिर एक बार जख्मे-जिगरको छू लिया - जैसे तलअतमेहमूदसाहब आपने गीत द्वारा छूआ करते थे। १९५०के दशकमें हम सुना करते थे "गमे जिंदगी का यारब, न मिला कोइ किनारा.." अब भी कानोंमें गुंजते हैं। मखमली आवाजकी रेशमी यादें ताजी करानेके लिये बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteआपका बहुत शुक्रिया केप्टनसाहब।
ReplyDeleteमार्कण्ड दवे ।
एक अच्छा प्रयास है, राष्टुभाषा से जुड़े का, लगे रहे सर जी,
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