Friday, May 6, 2011

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र ।

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र ।
(सौजन्य-गूगल)


परत जम गई है *अलगरजी की, दिल की सतह पर ,
देख   पाओगे   क्या  तुम,  दिल  के  तलवे  का  दर्द?


*अलगरजी = बेपरवाही

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प्रिय दोस्तों,
 
सन-१९८० में एक दिन, सरल स्वभाव का,भोलाभाला एक दोस्त, मुझे मिलने के लिए आया । आते ही उसने, मुझे खुश ख़बर दी  कि, उसकी शादी तय हुई  है । मैने उसे बधाई दी और आनंद व्यक्त किया ।
 
थोड़ी देर बाद, मित्र ने एक गुज़ारिश की,"मुझे पता है,कॉलेज में कई दोस्तों को प्रेम पत्र लिखने में तुमने मदद की थी । मेरा भी `हाफ मेरेज` (एन्गेजमेंन्ट) अभी-अभी  हुआ है और मेरे लिए भी तीन-चार प्रेम पत्र लिख दे ना या..र, यु नॉ, तेरी भाभी को मैं इंम्प्रेस करना चाहता हूँ..!!"
 
मैंने उसे अच्छे शब्दों में समझाया,"रहने दे या..र, प्रेम पत्र लिखने में अगर कोई ग़लती हो जाएगी तो, तेरी शादी का सपना टूट जाएगा..!!
 
मेरा मित्र मायूस होकर चला गया । मुझे बहुत दुःख हुआ, पर मैं अपने सिद्धांत के आगे मजबूर था ।
 
एक सप्ताह बाद, वही मित्र उसकी भावी पत्नी के साथ, मुझे मार्केट में मिल गया । पहली बार मिलने पर, मित्र और उसकी होनेवाली पत्नी को पास के रॅस्टोरन्ट में, मैंने  चाय-नाश्ता करवाया तब बातों-बातों में, मुझे जो पता चला वह सुनकर मैं हँसते हुए लोटपोट हो गया ।
 
भाभीजीने मित्र का भांडा फोड़ दिया..!! प्रेम पत्र लिखने से, मेरे मना करने पर, मित्र ने  अपनी मनमर्ज़ी मुताबिक प्रेम पत्र लिखा, जिसमें अंटसंट शेरोशायरी तो थीं ही, पर `हाफ मेरेज` शब्द से प्रेरित होकर,ग़लतफहमी के कारण उसने, भावी पत्नी के साथ, ऑफिसियल शादी करने से पहले ही, `अखंड सौभाग्यवती` का संबोधन करना शुरू कर दिया और वो भी खुल्लमखुल्ला पोस्टकार्ड भेजकर..!!
 
 हालाँकि, कन्या के माता-पिता ने, इस बात को मज़ाक में ले कर, बहुत हल्के से लिया और सारा मामला सँभाल लिया..!!
 
आप कल्पना कर सकते हैं? बीते दशक और उससे पहले युग में प्रेम पत्र की अदा-छटा-भाषा कैसी होती थी?
 
प्रेम पत्र अर्थात क्या?
 
सिर्फ एक कागज़ के टुकड़े पर लिखे,कुछ शब्द का नाम प्रेम पत्र है? (नहीं..नहीं..नहीं..बिलकुल नहीं..!!)
 
तो फिर, प्रेम पत्र का अर्थ क्या है?
 
" हमारे हृदय में जाग्रत हुई, प्रेम की संवेदनाओं को,शब्द,संकेत या अन्य किसी भी माध्यम के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को संदेश के रूप में भेजा जाए, उसे प्रेम पत्र कहते हैं ।"
 
अगर प्रेम पत्र की परिभाषा यही है तो, हम कह सकते हैं कि, प्रेम पत्र भेजने के अलग-अलग माध्यम ही, प्रेम पत्र के अलग-अलग प्रकार हुए..!!
 
प्रेम पत्र लिखना यह भी एक कला है । ये सब के बस की बात नहीं है, जिनको अपने दिल की संवेदना ठीक से बयान करना न आता हो, उसका प्यार कई बार परवान चढ़ने से पहले ही दफ़न हो जाता है..!!
 
प्रेम पत्र के प्रकार ।
 
प्रेम पत्र के प्रकार अनगिनत है,जैसे कि, कागज़-पत्र,इशारा, संदेशवाहक,कबूतर,रूबरू और अब सेटेलाईट के युग में, MMS, SMS, E-MAILS वगैरह प्रकार-स्वरूप..!!
 
कवि कालिदास के `शाकुंतल` संस्कृत नाट्य साहित्य पर आधारित, सन-१९६१ में राज कमल स्टूडियो द्वारा निर्मित,निर्देशक श्रीव्ही.शांतारामजी की, सुंदर कलात्मक हिन्दी फिल्म-`स्त्री` में राजा दुष्यंत को, भोजपत्र पर शकुंतला ने प्रेम पत्र लिखा, उसका बहुत सुंदर दृश्य फिल्माया गया था ।
 
सन-१९७० से पहले, प्रेम पत्र भेजने के लिए कई बार सात-आठ साल के छोटे बच्चों को, सब से सलामत दूत माना जाता था । हालाँकि, इसमें कई जोखिम होते थे..!!
 
सन-१९६२-६३ में, मेरे जन्म स्थल-दर्भावती (डभोई) में हमारी गली में रहनेवाले एक युवक ने, मुझे छोटा बच्चा मान कर, हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की को देने के लिए, मुझे एक प्रेम पत्र थमा दिया ।
 
इस लड़के से मैं बहुत डरता था, इसलिए मैं उसे मना कर न सका, अतः उसका दिया हुआ प्रेम पत्र, लुकाते छुपाते उस लड़की तक पहुंचा आया । परंतु, मैंने उस लड़के को,उस दिन पहली बार, बिना डरे कह दिया कि," आज के बाद मैं ऐसा कोई काम नहीं करुंगा ।" 

हालांकि, उसकी ज़रूरत भी न पड़ी..!! पता नहीं, उस लड़के ने, प्रेम पत्र में न जाने क्या लिखा था कि, उसकी प्रेमिका उससे ऐसी रूठ गई कि, उसको चारा डालना ही बंध कर दिया..!!
 
थोड़े ही दिनों में, प्रेमिका की उपेक्षा से, वह लड़का देवदास जैसा बर्ताव करने लगा । फिर से, एक दिन वह युवक मेरे पास आया और फिर से एक कागज़ मेरे सामने रख दिया । उसके पास कागज़ देखते ही, मैंने उसे बिना शर्म किए कह दिया," तेरा ऐसा कोई काम, मैं नहीं करुंगा..!!
 
यह सुनकर, उस `देवदास` युवक ने कहा,"मैं, ये कागज़ उस लड़की को पहुंचाने के लिए तुझे नहीं दे रहा हूँ, सिर्फ तु इसमें दस्तख़त कर दे, बस..!!"
 
मैनें एहतियात के तौर पर पूछा," क्या लिखा है इस में?"
 
गहरी सांस भर कर, वह लड़का बोला,"मेरी लवर के पिताजी के नाम, एक अर्जी लिखी है कि, उनकी बेटी को समझा के, उससे मेरा प्रेम विवाह तुरंत करा दे ।"
 
यह सुनकर तो मानो, मेरे मन में ख़तरे की घंटीयाँ बज ने लगी..!! मुझे पक्का लगा कि, उस देवदास के साथ-साथ, आज मेरी पिटाई भी तय है, अब क्या करूँ? ऐसी ही असमंजस की मनःस्थिति में, मारे डर के, मैंने अपने स्कूल का बस्ता दोनों हाथ से कस कर पकड़ा और पिछे मुड़ कर देखे बिना ही, वहाँ से ऐसा भागा मानो मेरे पिछे, कोई पागल कुत्ता पड़ा हो..!! भागता हुआ जब, मैं अपने घर पहुंचा, तब जा कर, मेरे दिल को ज़रा शांति मिली ।
 
हालांकि, मेरा डर सही था और दस्तख़त न करने का फैसला भी..!! इसी रात हमारे महोल्ले में, उस लड़की के पिता और उसके महाबली खली जैसे लट्ठ भाई ने मिलकर, उस देवदास प्रेमी को इतनी बुरी तरह पिटा कि, उसकी सात पुश्तें भी प्रेम का नाम लेना भूल जाएं..!! अर्जी कर्ता देवदास प्रेमी की बेरहमी से धुलाई होती देखकर, मैं छोटा बच्चा होते हुए भी, बिना दस्तख़त किए,सही समय पर, पलायन करने के अपने आप के फैसले पर, मैंने बहुत गर्व महसूस किया..!!

थोडे ही दिनो बाद, मामला थोड़ा शांत होते ही,मेरे मिलने पर, उस लड़के ने मुझे कहा,"सब को तेरे जैसे, होशियारी से, लुकाते-छुपाते पत्र पहुंचाना थोड़े ही आता है, इसी लिए मुझे इतनी मार पड़ गई?"

कुछ  प्रेमी,अपना प्रेम संबंध ध्वस्त हो जाने के बाद भी प्रेम पत्रों को अपने प्राण से भी अधिक जतन से जीवन भर संभालते हैं, जब कि कुछ  समझदार-व्यवहार कुशल प्रेमी  मन में,`रात गई बात गई` जैसा कुछ बड़बड़ाकर, उसे फाड़ कर या जला कर अपनी दुखद यादों को मिटाने का व्यर्थ संघर्ष करते रहते हैं ।

हालाँकि, पुराने प्रेम पत्र को आजीवन संचय करके, छुपाने वाले प्रेमीओं के प्रेम पत्र, किसी के हाथ लग जाने पर,उनके संसार में उन्हें, सुनामी जैसी महान आपदा झेलनी पड़ सकती है ।

R.K.FILMS, राज कपूर की अत्यंत सफल फिल्म-`संगम` में, राजेन्द्र कुमार ने, वैजयंती-माला को लिखा हुआ, ऐसा ही प्रेम पत्र शादी के पश्चात राज कपूर के हाथ लग जाने के बाद मचे आशंकाई-मनोमंथन में, रिश्तों को बचाने की जद्दोजहद में आखिर राजेन्द्र कुमार को आत्मघात करना पड़ता है।

संगम का एक गीत था," ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर, के तुम नाराज़ ना होना ।" हालाँकि, नाराज़गी तो जन्म लेती है,पर राज कपूर के दिल में..!!

पौराणिक प्रेम पत्र ।

पौराणिक प्रेम पत्र की चर्चा में, रामायण और भागवत के प्रसंग की चर्चा न हो, ये तो हो ही नहीं सकता..!!

* श्रीरामचरित मानसजी के,बाल कांड में, गुरुवर ॠषि विश्वामित्रजी की आज्ञा को शिरोधार्य करके,श्रीरामचंन्द्रजी जब शिव धनुष उठाने के लिए आगे बढ़े तब,

"प्रभुहि चितई पुनि चितव महि राजत लोचन लोल ।
खेलत मनसिज मीन जुग जनु बिधु मंडल डोल ॥"


अर्थात- कुछ क्षण के लिए श्रीरामचंन्द्रजी के सामने और कुछ क्षण के लिए लज्जा के कारण सिमट कर धरती को निहारते हुए, सीताजी के चपल नयन,मानो चंद्र मंडल में कामदेव के ध्वज समान दो मीन खेल रही हो ऐसे शोभते हुए,श्रीराम को मनोमन प्रेम का संदेश देने लगे ।

* श्रीमद् भागवत महापुराण अनुसार, सारे संसार में, सर्व प्रथम लिखित प्रेम पत्र, रूक्मणीजी ने श्रीकृष्ण को लिखा था..!!

राजा भिष्मक की पुत्री रूक्मणीजी को जब पता चला कि, उसका भाई रूकमी और पिताजी,उसका विवाह बुंदेलखंड के,चेदी राज्य के  राजा शिशुपाल से करना चाहते हैं,तब सुनंद नामक विश्वासु ब्राह्मण दूत के हाथों, एक प्रेम पत्र भेज कर रूक्मणीजी ने, भगवान श्रीकृष्ण से अपना प्यार अभिव्यक्त करके, खुद को वहाँ से ले जाने का आग्रह किया था..!!

* तद्उपरांत, विदेश के साहित्य में भी, विलियम शेक्सपियर के सोनेट में वर्णन कि गई भावपूर्ण संवेदना, प्रेम पत्र का, शायद सर्वश्रेष्ठ आदर्श प्रारूप है ।

* नेपोलियन बोनापार्ट (१७६३-१८२१) ने अपने जीवनकाल में करीब ७५००० प्रेम पत्र लिखे थे, जिन में ज्यादातर सन-१७९६ में शादी के बाद अपनी सुंदर पत्नी जोसेफाइन को संबोधित किए गए थे ।

नेपोलियन का एक प्रेम पत्र- "पेरिस-१७९५."

" आज मैं तुम्हारे ही ख्यालों के साथ जागा । तुम्हारे साथ गुज़ारी हुई कल की मादक शाम की, तेरी नशीली तस्वीर ने मेरे मानसपटल पर भावनाओं की तूफ़ानी हलचल मचा दी है । मेरी मीठी,अद्वितीय जोसेफाइन, मेरे दिल में ये क्या हो रहा है..!! तेरे नशीले होठ और हृदय से छलकता हुआ प्यार, मुझ में असहनीय जलन पैदा कर रहे हैं..!! आह..!! तुम, तुम्हारे बाह्य व्यक्तित्व से कितनी भिन्न हो, ये बात मैं कल रात को ही जान सका..!! प्रिये, मेरी ओर से हज़ारों चुंबन के साथ, ये शर्त पर मैं इस पत्र का समापन कर रहा हूँ कि, तुम  मेरे सारे चुंबन, मुझे वापस नहीं करोगी..!!"

दोस्तों,इसे पढ़कर कौन कह सकता है कि, युद्ध मैदान में क्रूरता पूर्ण तरीके से लड़ने वाले योद्धा, कभी संवेदनशील नहीं होते?

आधुनिक प्रेम पत्र ।

अब आधुनिक प्रेम पत्रों के बारे में क्या कहना? उसकी गुणवत्ता और स्तर को दर्शाने के लिए, ये एक ही उदाहरण पर्याप्त है, चलो देखें?

कुछ साल पहले, रूपये-पैसे से सुखी, मेरे एक मित्र का, फिल्मी हीरो जैसा दिखने वाला सुंदर पुत्र, जो कि कॉलेज के प्रथम वर्ष में अभ्यास कर रहा था, घर में किसी को बिना कुछ बताए, अपने पड़ोस में रहती, उसकी बचपन की गर्लफ़्रेंड के साथ कहीं भाग गया..!!

कॉलेजियन हीरो के पिता के साथ झगड़ा करके, भगोड़ी कन्या सग़ीर होने का दावा कर के कन्या के पिता ने, मेरे मित्र के फिल्मी हीरो-बेटे पर, अपनी बेटी का अपहरण करने का इल्ज़ाम लगाकर, दोनों को चौबीस घंटे में हाज़िर करने की या फिर फौज़दारी, सख़्त कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दी ।

इस धमकी से डर हुए मेरे मित्र ने, सहायता एवं विचार विमर्श करने के लिए, तुरंत मुझे बुलवा लिया । वैसे यह बात जानकर मुझे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि, वह कॉलेजियन हीरो के साथ मेरी अच्छी दोस्ती थी और मुझे पता था कि, हीरो को, ये कन्या शादी के लिए कतई पसंद न थीं..!! बाद में मैंने सोचा,"भाई, आजकल के युवाओं का कोई भरोसा नहीं, आज लड़की नापसंद है-कल पसंद भी हो जाए?"

हालाँकि, दूसरे दिन शाम को दोनों प्रेमी पंछी, उनके दोस्त के यहाँ से पकड़े गए, मेरे मित्र ने दोनों को समझाने के लिए, मुझे फिर से बुलवा लिया । अब इस में, मैं  क्या कर सकता था?

करीब तीन-चार घंटे तक दोनों परिवार के बीच,आक्षेप-प्रतिआक्षेप, वादविवाद और तनाव चलता रहा । बाद में मेरी जिज्ञासा,चरम सीमा पार हो जाने के कारण, वह भगोड़े युवा दोस्त को मैंने आखिर पूछ ही लिया,

" अरे, या..र,जब शादी के लिए तेरी ये गर्लफ्रैंड, तुम्हें नापसंद थी, तो फिर उसके साथ भागा क्यों और वो भी `TWO DAYS -ONE NIGHT STAY` के पैकेज तक?"

दोनो परिवारों के झगड़े की वजह से हैरान-परेशान हीरो प्रेमी, बड़े व्याकुल मन से बोला,"अंकल, मैं उसे कुछ भाव न देता था इसलिए, उस घमंडी लड़की ने मुझे प्रेम पत्र भेजा, जिस में उसने मुझे `हिजड़े` की गाली दी थी,ये रहा वह प्रेम पत्र..!! 




हीरो प्रेमी की ये बात सुन कर मैं सन् रह गया, मैंने झट से उस लड़की का प्रेम पत्र पढ़ा..!!(BAD MANNERS?) पत्र पढ़ कर, मैं परेशान हो गया,सचमुच पत्र मे, बड़े कठोर शब्दों में, उस हीरो बोयफैंड की मर्दानगी पर शक कर के, उसको ललकारा गया था..!!
 

चेहरे पर किसी विजयी बंदर जैसे, अहंकारी भाव धारण करके हीरो प्रेमी ने आगे कहा," अंकल, वैसे मैंने ,`TWO DAYS -ONE NIGHT STAY` के पैकेज के दौरान साबित कर दिया कि, मैं हिजड़ा नहीं हूँ..!! अब आगे वो गर्लफ्रैंड जाने या  उसका बाप?"
 

आखिर, दोनों परिवारों के, सभी बुजुर्ग के दबाव में आकर,दो माह पश्चात,लड़की को अढ़ारह साल आयु पूर्ण होते ही,अपने कॉलेजियन हीरो साहब को,उस सिर फिरी, उच्छृंखल, नापसंद, सग़ीर गर्लफ्रैंड के साथ मज़बूरन शादी करनी पड़ी, इस कहानी का आखिर अंत सुखद आया और `घी के बर्तन में घी` पड़ा रहा..!!
 

दोस्तों, सन-१९१३ से १९३१ तक, मूक फिल्मों का ज़माना था इसलिए, भारत में, समाज पर नाटक के गीतों का अतिशय प्रभाव था और कई प्रेमी पंछी, अपने हृदय के भाव व्यक्त करने के लिए, वही गानों की पंक्तिओं द्वारा अपनी भावनाओं को प्रकट करते थे ।
 

कभी कभी, ये बात ज़रा ताज्जुब सी लगती है कि, पुराने प्रेम पत्रों में जो मासूमियत और प्रामाणिकता थी, वह अब सेटेलाईट माध्यम से भेजे जानेवाले प्रेम संदेश में क्यों देखने को नहीं मिलती..!!
 

आधुनिक ज़माने में तो आश्चर्य जनक तरीके से,` SMS, MMS, E-MAIL` वगैरह को `DELETE ` करने में जितनी देर लगती है,इतनी ही देर में  एक प्रेम संबंध को तोड़ कर, दूसरा प्रेम संबंध तैयार रखा जाता है । अगर किसी को कोई आशंका हो तो,सबूत के तौर पर, हर शुक्रवार को, `BINDASS TV`,प्रसारित हो रहा, `ईमोशनल अत्याचार` नामक कार्यक्रम अवश्य देखना चाहिए ।
 

सन-१९८० कि सेटेलाईट क्रांति तक, कुछ प्रेमी शीघ्र कवि, अपने मन से, कोई भी मनगढ़ंत शेरोशायरी तत्काल बना कर, अपना प्रेम भाव, प्रेम पत्र में व्यक्त कर लेते थे ।
 

उदाहरण स्वरूप-
 

" आपको पता नहीं है, कितना दर्द है मेरी आह में, मेरी हस्ती मिटा दूँ तेरी याद में ।"
 

 "दूर रहती हूँ लेकिन दिल से दुआ करती हूँ, कभी कभी ख़त लिख कर, प्यार अदा करती हूँ ।"
 

" फूल है गुलाब का, खुश्बू तो लीजिए, पत्र है ग़रीब का, जवाब तो दीजिए..!!"
 

" मेंहदी रंग लाती है,सुख जाने के बाद,प्रेम की याद आती है, टूट जाने के बाद ।"
 

"चांदनी चाँद से होती है,सितारों से नहीं, मुहब्बत एक से होती है, हज़ारों से नहीं ।"
 

"हंस प्रित सोहामणी, जल सूखे सुख जाए, सच्ची प्रित शेवाळ (=काई) की जल सूखे सुख जाए ।"
 

"मन मेरा पंछी भया,जहाँ तहाँ उड़ जाए, जहाँ जैसी संगत करे, तहाँ तैसा फल पाए ।"
 

" कोई कटार से मरे, कोई मरे विष खाए, प्रित तो ऐसी कीजिए, आह भरे जीव जाए ।"
 

"दिन गिने मास गए, बरस बीते तुम बीन, शक्ल भूले सुध भी, बाद में बिसरे नाम भी ।"
 

जब ये आलेख लिखने की सोच रहा था उन्हीं दिनों, एक मित्र, मुझे मिलने आए और बोले," मैं कल अपने गाँव जा रहा हूँ, आपके लिए वहाँ से कुछ मँगवाना है क्या?" 

वैसे तो, उनके गाँव से मैं अक्सर स्वादिष्ट नमकीन मँगवाता था पर आज मेरे मन में प्रेमपत्र-आलेख के विचार चल रहे थे, अतः  मैने झट से कह दिया," हाँ, अगर वहाँ आपकी पहचानवाले कोई बुजुर्ग मिल जाए तो उनके, एक दूजे को लिखे पुराने प्रेम पत्र मिले तो ले आना..!!"
 

मित्र को अवश्य लगा होगा कि, मानो मुझ पर पागलपन का दौरा पड़ा होगा..!! इसी आशंका के चलते, मित्र ने मेरे सामने घूरते हुए, शंकाशील आवाज़ में कहा," क्यों, गाँव में मुझे किसी बुढ़िया के हाथों पीटवाना है क्या?"

सन-१९३१ के बाद, वाक फिल्मों का दौर शुरू हुआ और ज़िंदगी के सारे रस के गीत के साथ, फिल्मों के सुंदर प्रेम गीत भी घर-घर में गूँजने लगे । उन गीतों में,प्रेमावस्था का अद्भुत वर्णन होता था और उन गीतों को रूपहरी परदे पर पेश करनेवाले हीरो-हीरोईन;राजकपूर-नरगीस;दिलिपकुमार-वैजयंतीमाला;देवानंद-सुरैया; गुरुदत्त-वहीदा जैसे कई  फिल्मी जोड़े, उस ज़माने के प्रेमीओं के लिए आदर्श हो गए..!! 
 

दोस्तों, धरती के जन्म काल से, प्रकट हुए समस्त साहित्य को ढूंढ कर, `प्रेम की अभिव्यक्ति` विषय पर, विशद विवरण करने जाएं तो, कितने ही महाग्रंथ की रचना हो जाएं..!!
 

इंग्लैड के प्रसिद्ध पत्रकार और इतिहासविद्, `John Keay (born 1941)`, के मत अनुसार," The Kama Sutra is a compendium (सारांश) that was collected into its present form in the second century CE."
 

कहते हैं, हमारी संस्कृति में, प्रेम के देवता-कामदेव के तीर जिनके दिल में लगते हैं, वही लोग उसके दर्द के बारे में,अधिक कह सकते हैं ।
 

`वात्सायन` मुनी रचित, `काम सूत्र` में सेक्स कला के बारे में, किए गए सटीक वर्णन में, `प्रेम की अभिव्यक्ति`  स्वरूप, प्रेम पत्र का वर्णन भी शामिल होना,निश्चित बात है, आप को कोई शक?



फिलहाल तो, आप मेरा लिखा,स्वरबद्ध किया,संगीतबद्ध किया और स्वरायोजन श्रीप्रसून चौधरी, प्रख्यात गायिका सुश्रीपारूलजी द्वाया गाया हुआ ये गीत मेरे ब्लॉग पर आकर सुनिए और बताईएगा ज़रूर,  आपको गीत कैसा लगा?

गीत के बोल हैं,

"पुराने  ख़तों  की  खुश्बू  में  यादें  भरी  हैं  मेरी,
आपको दिखा नहीं सकती,शादी हो गई है मेरी ।
दिलबर ने  मुझे दिए थे जो,घर में छिपे पड़े हैं जो,
मैं  ख़ुद पढ़ नहीं सकती, शादी हो गई  है  मेरी ।"




DOWN LOAD LINK-

मार्कण्ड दवे । दिनांक-०५-०५-२०११.

1 comment:

  1. kase kahun? said...


    majedar....

    dekhiye yuvaon par kitana pressure hota hai..

    8/5/11 1:18 PM

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