Thursday, September 29, 2011

रक्त रंजित आँसू - FACE BOOK`S TRUE STORY





रक्त रंजित आँसू - FACE BOOK`S TRUE STORY


मौसम   साथ  छोड़ेगा, बैरी  समय  बह्ते ही?
आँसू  बहेंगे, रक्त रंजित, तेरा संग  छूटते ही?

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अमेरिका,दुनियाभर के मानव की स्वप्न नगरी..!!
अमेरिका,दुनियाभर के मानव की डॉलरिया रोटी..!!
अमेरिका,दुनियाभर  के  मानव  की  संमोहिनी..!!
अमेरिका,अमेरिका..!! मतलब बस..अमेरिका..!!


दोस्तों,ज्यादातर यह होता है कि, ज़िंदगी की कुछ घटनाएँ आकस्मिक घटती है मगर, हर एक घटना का एक इतिहास हो,ये क्या ज़रूरी है?


वैसे ज्यादातर घटनाओं में एक कथा  छुपी  रहती है,जब कि, कोई घटना,इतिहास को साथ रखकर लिखी जाती है,तब वह लघु-गुरु उपन्यास का रूप धारण करती है..!!


हालांकि, इस वक्त मैं जो लिखने जा रहा हूँ, इसे न तो मैं कथा मानता हूँ, ना ही  लघु - गुरू  उपन्यास..!! 


ये तो है,सिर्फ और सिर्फ एक असहनीय सत्य व्यथा-वृत्तांत..!!

दोस्तों,कुछ दिन पहले, फेसबुक-FACE BOOK पर,मेरी एक अमेरिकन दोस्त का मैसेज मुझे मिला और उसे पढ़ कर  सहसा, मैं अत्यंत उदास-विचारमग्न हो गया..!! 

मैसेज था मेरी फेसबुकीय मित्र कॅरो का ।

क्या था वह संदेश?

कॅरो लिखती है," डियर,आई नीड योर हॅल्प अर्जन्ट..!! प्ली..झ; कॉन्टेक्ट मी सुन..!! इट्स एन इमरजेन्सी?"

कॅरो के संदेश में छिपी व्याकुलता और स्थिति की अहमियत को समझ कर, प्रतिकुल टाईम झोन होते हुए भी, मैंने तुरंत उसका संपर्क किया और जब कॅरो की ओर से तुरंत प्रतिक्रिया देने पर,मुझे बहुत आश्रर्य हुआ..!! 

किन्तु,संपर्क स्थापित होने पर कॅरो ने,मुझे जो बातें बताई,उसे सुनकर मैं विमूढ़ हो कर,अत्यंत विषाद-विचार-चिंतन मग्न हो गया..!!

अब आप मुझे कहेंगे कि," अरे..!! लेखक महाशय,ज़रा एक मिनट,पहेले हमें ये तो बताईए कि,यह कॅरो आख़िर है कौन?"

कॅरो..कॅरो..कॅरो..!! बचपन से गगन की उंचाई को छूने के ख़्बाबों को सजा कर, बारबार बूरी तरह धरती पर,औंधे मुँह गिरती, बगैर माँ की,अपने `आल्फ्रेड` नामक पिता का एक मात्र संतान और अभी-अभी अपना चालीसवाँ जन्मदिन पसार करने वाली कॅरो, मूलतः एक अमेरिकन संस्कारी  नारी है ।

सिर्फ सत्रह साल की आयु में ही अपनी माता के देहांत होने के बाद, पिता आल्फ्रेड ने,दूसरी अमेरिकन लड़की के साथ लिव-इन-रीलेशनशीप स्वीकार कर के, अपनी बालिग बेटी कॅरो को `गोड जिसस` के सहारे छोड़ कर, अमेरिकन परंपरा के अनुसार, स्वार्थ की ऊँगली पकड़कर, अपनी स्वतंत्र जिंदगी की राह पकड़ ली और फिर मूड़कर ना कभी देखा कि,कॅरो किस हाल में जिंदगी बिता रही है..!! 


सिर्फ सत्रह साल की आयु में, कॅरो ने एक अमीर और महाविलासी बॉयफ्रेंड का आश्रय स्वीकार कर लिया । बीस साल की कम उम्र में ही, कॅरो, एक गर्ल चाईल्ड और एक बॉय चाईल्ड की माँ भी बन गई..!!

दो बच्चे की माँ, कॅरो के बदन से सारा रस चूस लेने के बाद, उसके लिव-इन-रिलेशनशीप वाले बॉयफ्रेंडने, कॅरो का साथ छोड दिया और कॅरो जैसी ही एक नयी तितली फाँसकर अपने रास्ते चल दिया ।

अब..? अब क्या..? 

कॅरो के सामने, फिर एकबार, पहाड़ जैसा महा सवाल खड़ा हो गया..!!

हमारे देश के कुछ भारतीय दोस्तों की सहायता से, कॅरो ने अपने जीवन-संधर्ष की नये सिरे से शुरूआत की और दोस्तों की सिफारिश से एक छोटी सी जॉब शुरू कि । मगर कॅरो अपने जीवन को ठीक ढंग से सँभाल पाये,इससे पहले ही...!!

कॅरो के भाग्य में मानो, प्रति पल रक्त रंजित   आंसू   बहाना लिखा हो..!! 

एक अनहोनी घट गई..!! कॅरो के मित्र के साथ, ट्वीन टावर्स की एक ऑफिस में मुलाकात हेतु गया हुआ, कॅरो का नन्हा सा, मासूम पुत्र विलियम, आतंकवादी शैतान के हाथों ध्वस्त हुए ट्वीन टावर्स में आजीवन दफ़न हो गया..!! 

अपने प्राण से भी अधिक प्यारे, विलियम के अकाल मृत्यु पर कॅरो और उसकी एकमेव पुत्री सॅल्वा, असहनीय आधात के मारे, अचेतन से हो गये ।

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दोस्तों, विधाता के कर्माधिन आलेख से, अवसन्न दुनिया की ढेरों कॅरो की, दुख़भरी सत्य कहानीयाँ इतनी जल्दी ख़त्म नहीं होती..!!

अभी आगे  और भी  दर्दनाक कहानी बाकी है, पर एक हप्ते के अंतराल के बाद,यहीं पर हम कहानी को आगे पढेंगे । 

तब तक के लिए सभी मित्रों को  हमारी ओर से शुभ नवरात्री ।

मार्कण्ड दवे । दिनांक-२९-०९-२०११.

2 comments:

  1. कॅरो की कहानी पढ़कर मन व्यथित हुआ | कभी-कभी यह नियति इतनी निष्ठुर क्यों हो जाती है ?

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  2. कॅरो की कहानी पढकर मन व्याकुल हो उठा |कभी-कभी यह नियति इतनी निष्ठुर क्यों हो जाती है ?

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