Friday, November 25, 2016

मर्ज़ ।

हर   मर्ज़  की, एक  ही  दवा  होती  है, पीने  वालों  के  पास,

शायद, घुल जाती होगी सहज से, घुट-घुट के मरने की आस..!


मर्ज़ = रोग,समस्या;
   
सहज = आसानी से;
 
घुलना = एक रस हो जाना;

घुट-घुट के = साँस रुँधना, तड़प-तड़प कर;

आस = आशा;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २९ जुलाई २०१६.

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