Saturday, November 5, 2016

नमक ।

जलनेवाले   हँसने   लगे   हैं,   इन   बेस्वाद    ज़ख़्मों  पर,

हो सके तो फिर से  तू आजा, नमक छिड़कने ज़ख़्मों  पर...!


मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० अगस्त २०१६.





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