मन । (गीत)
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
किसी बात पर, वफ़ा कायम नहीं ?
१.
मन के द्वार, हर दिन है जश्न मगर..!
उसके तो क...भी ऐसे , करम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
२.
निपटता है मन और थकता हूँ मैं..!
बस, आगे और इक भी कदम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
निपटना = तय करना;
३.
वश में होता है मन कहा मगर..!
इस बात में कभी, कोई दम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
४.
वफ़ा की चाह, रब को भी है मगर..!
चंट ने कहा, ऐसा कोई नियम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
चंट = धूर्त-कपटी मन;
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २४-०५-२०१४.
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
किसी बात पर, वफ़ा कायम नहीं ?
१.
मन के द्वार, हर दिन है जश्न मगर..!
उसके तो क...भी ऐसे , करम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
२.
निपटता है मन और थकता हूँ मैं..!
बस, आगे और इक भी कदम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
निपटना = तय करना;
३.
वश में होता है मन कहा मगर..!
इस बात में कभी, कोई दम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
४.
वफ़ा की चाह, रब को भी है मगर..!
चंट ने कहा, ऐसा कोई नियम नहीं..!
मेरा मन किसी, गणिका से कम नहीं..!
चंट = धूर्त-कपटी मन;
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २४-०५-२०१४.
sundar geet !
ReplyDeleteA Big Thanks, Sushri Preeti ji,
DeleteThanks a lot Shri Rajiv ji,
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