छह मास पहले, अपने गुजरे हुए पति की प्रतिकृति समान, मानस ने जब अपना पहला वेतन, सीधा माधुरी मम्मी के हाथ में रखा तब, माँ को पहली बार यह अहसास हुआ,
"क्या, उसका नन्हा सा बेटा 'वयस्क' हो रहा है ?"
शायद इसीलिए, दस दिन पहले ही माधुरी ने, मानस की पसंद 'प्रिया' को अपनी बहु के रूप में, खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया था और आजकल दोनों लव बर्ड अपनी प्यार भरी मस्ती में मस्त थे..!
इतना सोचते हुए माधुरी की आंखों में खुशी के आँसू छलक उठे ही थे कि अचानक, मानस के आ जाने से, उसने अपने आप को संभाला और बोली," बेटे, आज तो तेरी सैलेरी का दिन है ना? आज मुझे कुछ बिल चुकाने हैं..!"
यह सुन कर मानस ने पूरे वेतन की बजाए चंद रुपये, माधुरी के हाथ में थमा दिए और कहा, " मम्मी, आज के बाद, तुम्हें जब भी पैसे चाहिए, मुझे एक दिन पहले बता देना और हाँ, मैं प्रिया के साथ बाहर जा रहा हूँ, मुझे शायद देर हो जाएगी..! "
माधुरी के चेहरे पर विस्मय के भाव जाग उठे और उसे लगा,
"उसका बेटा आज सचमुच ही 'वयस्क' हो गया..!"
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ०१-०५-२०१४.
हर घर की यही कहानी। विवाह के बाद बच्चे तो व्यस्क होंगे ही ।
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