Saturday, October 8, 2016

इन्तक़ाम ।


ज़िंदगी, रोज़  लेती  रहेगी  इन्तक़ाम, गिन-गिन कर,

मौत भी गिन रही है  करम , उठाएगी वो चुन-चुन कर..!


इन्तक़ाम =  बदला;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ३१ जुलाई २०१६.


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