Tuesday, June 21, 2016

ज़हर का घूंट ।


शायद  इसे  ही  कहते  होंगे, ज़हर का  घूंट ?
अश्क बहे  उधर, आह भी न भर पाएं  इधर..!

अश्क = आँसू; आह = आर्त्तनाद;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ११ जून २०१६.



No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.

Ratings and Recommendations by outbrain

Followers

SpellGuru : SpellChecker & Editor For Hindi​​



SPELL GURU