Monday, June 20, 2016

रिश्वत ।


 
 जब भी  कभी  ठानी, रिश्वत  न  देने  की  उसूलों  ने,
   बेबसी   महज  देती  रही,  बेशर्म  ललक  लेती  रही...!
 
ठानना = निश्चय करना;     उसूल = नियम;        बेबसी = मज़बूरी;
महज =केवल, सिर्फ़;          ललक = लालच;
 
मार्कण्ड दवे । दिनांकः १७ जून २०१६.


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