Wednesday, June 15, 2016

आसाँ नहीं ।

आसाँ   नहीं ।



कभी इक शब  के लिए, नींद रहमत कर  मेरे मौला,
रोज़   आसाँ  नहीं, जी ने  के   नए    बहाने   ढूंढ़ना...!

शब = रात;  रहमत = कृपा;
मार्कण्ड दवे । दिनांकः १२ जून २०१६.

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