मारे शर्म के मैं लाल हो गई।
(courtesy-Google images)
गीत- स्वरांकन-संगीत- मार्कण्ड दवे
गायिका - सुश्री,पारुल व्यास्
आँख से आँख उनसे लड़ी तो,
आँख से आँख उनसे लड़ी तो,
मारे शर्म के मैं लाल हो गई-३
हाल-ए-दिल कहना है लेकिन-२
मिलना उनसे है मुश्किल-२
प्यार का पहला ख़त जो मिला तो
मारे शर्म के मैं लाल हो गई-३,
सर पे दुपट्टा शबाब नमकीन,-२
नज़रें मिलानी भी मुश्किल-२
हवा चली -२ दुपट्टा उड़ा तो,
मारे शर्म के मैं लाल हो गई-३,
दिल का लगाना था मुमकिन -२
जिना-मरना भी मुश्किल-२
ज़ख्म ज़रा सा उसने दिखाया तो,
मारे शर्म के मैं लाल हो गई-३,
आँख से आँख उनसे लड़ी तो,
आँख से आँख उनसे लड़ी तो,
मारे शर्म के मैं लाल हो गई-३
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