Wednesday, August 3, 2016

हरा ज़ख़्म ।


दिल का ज़ख़्म  हरा  ऊपर से, नीम-तानों का  तड़का..!
अरमानों को  आग लगा के, पूछते  हो, `कैसे  हो  भला ?`


हरा ज़ख़्म = ताज़ा घाव;    
नीम-ताना = कड़वा  कटाक्ष;    
तड़का = बघार;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २९ जुलाई २०१६.


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