Monday, August 1, 2016

पलक ।


रब ने पूछा  मुझ से,`बता, ज़िंदगी की  तफ़सीर  क्या है ?`
मैंने   कहा,` दो  मौत के  बीच,  कुछ  पलकें  झपकाना..!`


तफ़सीर = व्याख्या,परिभाषा;        
 पलक झपकाना = आँखे झपकना;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः ३१ जुलाई २०१६.


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