Sunday, July 10, 2016

बेख़ौफ़ ।


डर-डर के  जीता  था, हसीनों के साये से भी,
 

बेख़ौफ़ हो गया  मैं, जब से प्यार हुआ तुम से..!

साया = परछाईँ;
  
बेख़ौफ़ = निर्भय;

मार्कण्ड दवे । दिनांकः २० जून २०१६.



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