Tuesday, December 6, 2011

सुलह बाक़ी है अभी..!!(गीत)





सुलह  बाक़ी  है  अभी..!!(गीत)






भर दे  मेरा जाम कि,प्यासी  सतह  ख़ाली  है  अभी..!!

भर  ले  दर्द और कि, दिल में जगह बाक़ी  है  अभी..!!


अंतरा-१.


हो   गया  है  चलन  सा, प्यार  में  धोखेबाज़ी  का..!!

कर ले सरपट  प्यार,दिल की फतह बाक़ी  है  अभी..!!

भर  ले दर्द  और कि,दिल में जगह बाक़ी  है  अभी..!!

( फतह = विजय,जीत )


अंतरा-२.



एक  दिन  तुम  भी  खाओगे,ठोकर  जहान   से..!!

मिटा  दे  ये मगरूरी, हाल अपह  बाक़ी  है  अभी..!! 

भर ले दर्द और कि,दिल में जगह बाक़ी  है  अभी..!!




(हाल  अपह = प्रलयकारी  स्थिति )


अंतरा-३.


झुक  जायेगी  ये आरज़ू, खुल जायेगा   नक़ाब..!!

कर ले ज़रा इकराम,दिल से कलह बाक़ी  है  अभी..!!

भर ले दर्द और कि, दिल में जगह बाक़ी  है  अभी..!!


( इकराम = सम्मान, आदर ; कलह = झगड़ा, विवाद )


अंतरा-४.


थक  चुकी  हैं  धड़कनें, आलम के  झूठे अलम  से..!! 

अय  मौत  ठहर  ज़रा, उनसे  सुलह बाक़ी  है  अभी..!!

भर ले दर्द  और कि, दिल में जगह बाक़ी  है  अभी..!!


( आलम =  दुनिया ; अलम = पश्चाताप, अफ़सोस )


मार्कण्ड दवे । दिनांक-०६-१२-२०११.

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