Friday, April 4, 2014

अय बुड्ढ़े..!


Micro Short Stories -1
 
(अय बुड्ढ़े..!)

" अय बुड्ढ़े, एक बार कह दिया ना,..! 
साहब, मीटिंग में बहुत बिज़ी हैं, सुनाई नहीं देता क्या? 
चल भाग यहाँ से, कहाँ-कहाँ से आ जाते है भिखमंगे, चल हट..!

लाचार बुड्ढा आदमी, 
ऑफिस प्यून के  ज़ोर के धक्के से, ऑफिस के दरवाजे से बाहर जा गिरा ।

सीसीटीवी कैमरे पर सारा नज़ारा देख रहे साहब ने,
टी-२० वर्ल्ड कप की रोमांचक मैच की आवाज  कम करते हुए,
चिढ़ कर वृद्धाश्रम के संचालक को फोन पर धमकाया,

" इतने सारे रुपये की मदद के बावजूद, 
पिताजी को क्यों ऑफिस आने देते हो?
 
वृद्धाश्रम बंद करवा दूँ क्या?"

मार्कंड दवे । दिनांकः ४/४/२०१४.








8 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 05/04/2014 को "कभी उफ़ नहीं की
    " :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1573
    पर.

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  2. Replies
    1. आदरणीय सुश्री संगीता स्वरुप जी, बड़े दिनों के बाद आप की उपस्थिति से मन प्रसन्न हो गया । आप के लिए मंगल कामना, शुभेच्छा के साथ, आप का बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  3. बढ़िया प्रस्तुति व गहरी रचना , आदरणीय मार्कंड सर धन्यवाद ! I.A.S.I.H ( हिंदी जानकारियाँ )
    हिंदी ब्लॉग जगत में एक नए ब्लॉग की शुरुवात हुई है कृपया आप सब से विनती है कि एक बार अवश्य पधारें , व अपना सुझाव जरूर रक्खें , धन्यवाद ! ~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )

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  4. बहुत-बहुत शुक्रिया, श्रीआशीषभाई जी,

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  5. सच जो कुछ हो रहा है देखा नहीं जाता .. आज यह सब दुखभरी दास्ताँ जहाँ कहीं देखे जा रहे हैं ... कल उसी राह सबको जाना है यह नहीं सोचते .. .. संवेदनशील प्रस्तुति

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