मौत की आहट। (गज़लनुमा गीत)
गीतकार-स्वरांकन-संगीत-गायक-मार्कंड दवे ।
संगीत-स्वरायोजन-प्रसुन चौधरी.
हर साँस मे मौत की आहट सुनाई देती है ।
ज़िंदगी अब तो गिन-गिन के बदला लेती है ।
१.
ज़िंदगी जीने मे जो माहिर माने जाते थे ।
उनको अब जीने की रीत देखो सिखाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
२.
बेआबरु न हो कोई, मैं तो ख़ामोश रहता था ।
कहानी मेरी ही अब मुझ को सुनाई जाती है ।
हर साँस मे ...................
३.
मुआफ़ करना गुस्ताख़ी अगर हो कोई ।
आखरी ख़्वाहिश, सभी से तो पूछी जाती है ।
हर साँस मे ...................
मार्कड दवे ।
M.K.AUDIO-VIDEO RECORDING STUDIO.
AHMEDABAD-GUJARAT. INDIA.
आहट है ये मौत की, बुझ सको तो बुझ ।
ReplyDeleteजो इसको है बुझ गया, रहा स्वयं से जूझ ।।
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
बहुत-बहुत धन्यवाद श्रीप्रदीपजी,
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति .आभार
ReplyDeleteभारतीय नारी
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जन्म के साथ ही मौत जिंदगी का आखिरी सच है ...बहुत बढ़िया जिंदगी को समझाती प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत उम्दा है
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